मैं दर्द हूँ।।
मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ।
मैं बन अंगार कभी, होंठों से फिसलता हूँ।
ना मेरा कोई मज़हब, ना जात रही कोई,
फिर भी हर होंठों पर बस बात रही मेरी।
जो मैं जग में नहीं, खुशियों का मोल नहीं कोई, #Poetry#kavita#hindikavita#hindipoetry