विषपान करना जरा नर को भी सिखला दो ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ विष उगलने वाले शैतान हो गए हैं विष निगलने वाले शिव हो गए हैं, मगर देखते हैं लोगों को तो पाते हैं जैसे सब शैतान हो गए हैं, क्यों हो गए लोग शैतान शिव के देश में क्यों नाम लेकर शिव का शैतान से अघाते हैं, विष का जिम्मा केवल उस शिव पर छोड़ दिया है जो नीलकंठ है, भोला है, आदि है; शक्ति है, पीकर अमृत क्यों लोग विष वमन करते हैं आगे बार बार क्यों फिर शिव को करते हैं, लगता है लोगों ने खुद के जिम्मे अमृत लिया है औरों के जिम्मे तो विष ही विष दिया है, बना व्यापार लिया है लोगों ने विष को विष घोल-घोल कर किसी न किसी बहाने से, जय जयकार करते हैं नीलकंठ की और भर उन्माद फिर बात करते हैं विष वमन की, हे शिव मेरे, हे नीलकंठ मेरे विषपान करना जरा नर को भी सिखला दो, शिव कैसे होता है 'सत्यं शिवं सुंदरम्' जरा सिखला दो, मनमंथन के विष को पीना भी सिखला दो अमृत को बांँटना भी सिखला दो। ✍️ गोपाल 'सौम्य सरल' Pinterest wallpaper #शिव #सत्यंशिवंसुंदरम् #glal #restzone #yqdidi #rztask456 #rzलेखकसमूह विषपान करना जरा नर को भी सिखला दो ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ विष उगलने वाले शैतान हो गए हैं