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छीन कर शब्द सारे मौन को थमा गए फरेब के धागे ही वजू

छीन कर शब्द सारे मौन को थमा गए
फरेब के धागे ही वजूद को उलझा गए

गांठ सी जो पड़ गई बात नहीं वो नई है 
मन के घोड़े की सवारी उलट ही पड़ गई हैं 














साथ में अब रंज है और बहुत से तंज़ है
गलतियों के मंच पर बिखरे अनेकों व्यंग्य है 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  फरेब

फरेब #शायरी

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