आज़ाद .... क्रांति की मशाल लिए , वो निकला था घर से, बांध के माँ भारती की, चुनर अपने सर से, यही था कफ़न उसका, यही उसकी ढाल था, दिल में रोष लिए, वो भारत का लाल था, ना खबर थी शाम की , ना फिकर थी भोरों की, भारत के इस लाल ने , नींद उड़ा दी गोरों की, गुलामी में जन्म लिया, ना गुलाम मरूँगा , आज़ाद था, आज़ाद हूँ, आज़ाद रहूँगा, थी प्रतिज्ञा अडिग उसकी, पत्थर की लकीर सी, अंग्रेजी हुकूमत की छाती में, चुभती थी तीर सी, क्रांतिकारी दल बनाया, कांकोरी को अंजाम दिया, गोरों की साँसों को, बन्दुक से विराम दिया, छलनि था शरीर उसका, सीने पर वार था, गोलियों की होलियां थी, पर मूंछों पर ताव था, कई बार भेष बदले, बदले उसने नाम कई , माँ भारती की स्वाधीनता हेतु, किये बड़े काम कई, छल से घेरा शत्रु ने जब, भारत माँ को याद किया, अकेला भिड़ा सेना से वो, दुश्मन से दो - दो हाथ किया, अकेले अंग्रेजी सेना को, नाकों चने चबवा दिए , अंतिम गोली रही जब शेष, तब स्वयं अपने प्राण लिए, जीते जी छू ना सके, वो माटी के लाल को , शहीद का लहू देख, रोना आये काल को, आओ मिलकर याद करे , हम शेखर महान को, चंद्रशेखर नाम जिसका, भारत के आज़ाद को, All WORKS COPYRIGHT PROTECTED @jitendrarathore ⇜जितेन्द्र राठौर⇝ हिंदी कविताएँ\ संघर्ष के मोती #freedomfighter #aazad #hindipoem #hindikavita ©Sangharsh Ke Moti #ChandraShekharAzaad आज़ाद | चंद्रशेखर आज़ाद पर कविता | क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद | Poem on Chandra Shekhar Aazad Hindi नमस्कार दोस्तों !!! "संघर्ष के मोती" 'हिंदी कविताओं 'में आपका स्वागत है!!! ...............................................................................................................................