बचपन में माँ खाना खिलाने के लिए पीट दिया करती थी रोने भी नहीं देती थी, डांट दिया करती थी आंसूओं का गुबार गले में चुभता था, डर से चुप चाप खाना खा लिया करती थी कहाँ पता था, बड़े होकर आंसुओं को पी कर हंस देने की कला इतनी काम आयेंगी कहाँ पता था, आसूं तो गिरेंगे सारी रात, पर सिसकियाँ जुबान तक न आयेंगी -शालिनी ©intoxicating_zinx_words #NojotoQuote silent tears #silenttears #pain #broken