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वक्त का परिंदा उड़ चला है साथ अपने कुछ यादें कुछ

वक्त का परिंदा उड़ चला है
 साथ अपने कुछ यादें 
कुछ वादे लिए 
कुछ बनते बिगड़ते 
रिश्तों की मिठास 
कुछ दर्द से भरे नगमे जो 
कानों में दर्द भर देते हैं, 
रिश्तों के अनगिनत 
उतार चढ़ाव के साथ 
अपने नए पड़ाव की ओर।

©shaanvi 
  #उड़ चला
lavishalavi1148

shaanvi

New Creator

#उड़ चला #कविता

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