ये इश्क़ तुमसे है, मेरा जूर्म क्या? तूं बता जरा। जो छलक गया,वो अश्क नहीं। जो दफ़न हुआ,वही दर्द रहा। ज़माने को कद्र नहीं, इसी का मुझे कसक रहा। जो गुज़र गया वो इश्क़ नहीं, वो परछाई बन सता रहा। ©नंदन. #इश्क #इश़्क