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गहरे ज़ख्मों की तकलीफ अकेले सही नहीं जाती हमदर्दों

गहरे ज़ख्मों की तकलीफ अकेले सही नहीं जाती
हमदर्दों को खबर तक नहीं हमने जगकर सारी रात काटी 

कह देते हैं होता है इलाज हरेक ज़ख्म का लोग यूं ही
मगर रह जाते कई ज़ख्म ताउम्र इलाज को तरसते ही

दुनिया छोड़ कर जाने वाले फिर कहीं भी नहीं दिखते
अपनो के छोड़ जाने के गम से लड़े या अकेलेपन से

जिन पर नहीं गुजरी वो कैसे इन सारी बातों को समझें
नींद भूख प्यास धूप भूलाने वाली तकलीफ़ से कैसे जूझें 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  ज़ख्म

ज़ख्म #शायरी

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