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लिखी तुझ पर हर एक नज़्म आज दिल का ज़ख़्म हो गई,

लिखी तुझ पर हर एक नज़्म 
आज दिल का ज़ख़्म हो गई,

उनको देख कर धड़कता था जो 
उस दिल की धड़कन कम हो गई,

लोग कह तो रहे हैं कि जिंदा हूँ मैं 
पर सच कहूँ तो ज़िंदगी खत्म हो गई।

©Sagar Parasher
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