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फिर से आज कलम उठाई फिरती हूँ मैं! वक्त पुराना आज ल

फिर से आज कलम उठाई फिरती हूँ मैं!
वक्त पुराना आज लेकर चलती हूँ मैं!

एक अनोखी खुशबू से नहाई हूँ मैं!
 मंजिल की तरफ पंख फैलाए हूँ मैं!

 उम्मीद की पटोली भरी रहती हूँ मैं! 
मन में गोते लगाए फिरती हूँ मैं!

अलग अहसास में रहती हूँ मैं!
अपने वजूद को मेहसूस करती हूँ मैं!

फिर कलम उठाती हूँ मैं!
कविता के जरीये अपनी कहानी बताती हूँ मैं!

कुछ करने की ख़ुशी महसूस करती हूँ मैं!
अपनी सोच को घंटों आयाम देती हूँ मैं!

नये सफ़र पर चलती हूँ मैं!
खुद लिखकर नदिया बहती हूँ मैं!
 
मुसिबतो से लड़कर खुद ही मुस्कुराती रहती हूँ।

©Sonika pal
  #Apocalypse #Life #Life_experience #poem #story