हालत अपनी तंग है, फूटी कौड़ी ना संग है मँहगाई तोड़ देती है कमर अरमान फिर भी यंग है। हम भरते रहे ख्वाबों में रंग किस्मत घोलती उसमें भंग है। जिन्दगी फेंकती है राह पे काँटे अपना अंदाज फिर भी दबंग है। कुछ लोग खोदते रहते है गड्डे अपनों की दुआयें हर दम संग है। पारुल शर्मा हालत अपनी तंग है फूटी कौड़ी न संग है मँहगाई तोड़ देती है कमर अरमान फिर भी यंग है। हम भरते रहे ख्वाबों में रंग किस्मत घोलती उसमें भंग है। जिन्दगी फेंकती है राह पे काँटे अपना अंदाज फिर भी दबंग है।