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तृप्ति की कलम से एक ग़ज़ल #बेवजह_भी_कभी_कहकहा_कीजिए

 तृप्ति की कलम से
एक ग़ज़ल
#बेवजह_भी_कभी_कहकहा_कीजिए
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बेवजह जुल्म को मत सहा कीजिए।
       मग्न खुद में हमेशा रहा कीजिए।

रूठ ही जायगें है जिन्हें रूठना
     बात मन की हमेशा कहा कीजिए।

     वक्त रहते करो बात खुद से कभी
भावना में न आकर बहा कीजिए।

चार दिन का है जीवन खुशी से जिओ
    शोक की अग्नि में मत दहा कीजिए।

क्या पता कब सफर खत्म हो जायगा
    बेवजह भी कभी कहकहा कीजिए।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री 
लखीमपुर खीरी

©tripti agnihotri
  तृप्ति की कलम से 
गजल

तृप्ति की कलम से गजल #शायरी #बेवजह_भी_कभी_कहकहा_कीजिए

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