रूप की इस तरह सजावट है । दूर से दिख रही बनावट है ।।१ पास कुछ भी नही बचा उसके । देख लगती सभी दिखावट है ।।२ देखते आज क्या हमें बाबू । हमें आती नहीं बनावट है ।।३ रंग जो दिख रहा मेरी सूरत पर । देख इसमें नही मिलावट है ।।४ लिख दिया खेद के लिए माफ़ी । जब हुई काम में रुकावट है ।।५ शेर यूँ ही नही लिखे जाते । दर्दे-दिल की यही लिखावट है ।।६ इस तरह कौम पर प्रखर लड़ना । आज इंसान में गिरावट ।।७ ०६/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रूप की इस तरह सजावट है । दूर से दिख रही बनावट है ।।१ पास कुछ भी नही बचा उसके । देख लगती सभी दिखावट है ।।२