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ज़िन्दगी की करवटों मेँ,कुछ सलवटें तेरी यादों की,हर

ज़िन्दगी की करवटों मेँ,कुछ सलवटें तेरी यादों की,हर निगाह पूछती है.के,मुख़्तसर से वक़्त में कौन, सब कुछ ले गया  हर सुबह समेट लेती हैं,मेरे रात भर के ग़म, हर रात मेरी लिखा करती है, सुबह के नाम ख़त, ये मेरे हर एक ख़त से कौन,एक एक हर्फ़ ले गया वो कहता है,लिखना ही, होता नहीं सब कुछ, एहसास भी तो चाहिए, मैंने पूछा ,बगैर एहसास के, तू वाह - वाह कर गया? अक़्सर देता था जो नसीहतें रिश्ते सम्हालने की,साहेब वही मुझसे रिश्ते तोड़ कर,फातिहा पढ़ गया..

©Pawan Dvivedi
  #ArabianNight फातिहा

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