इत्तु सा पैग़ाम मुलाक़ात के नाम।
एक मुलाक़ात करते है ,वहीं जहाँ अक़्सर हम ख़ुद को डूब हुआ पाते हैं। अपनी एक अलग दुनियाँ में बसा हुआ पाते हैं। वहीँ जहाँ ज्ञान की कोई सीमा नहीँ, वहीँ जहाँ अंत से ही एक शुरुवात होती हैं।आइयें हम आप का इंतज़ार करते हैं।
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