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नजर मिलाकर, नजर चुराया, नजर फरेबी क्यों ए नजर बने

नजर मिलाकर, नजर चुराया, नजर फरेबी क्यों ए नजर बने हो,
फ़साना ये इस नजर का भी है, हमारी नजर से भी तो कभी मिले हो,
सुनो जरा इस नजर के किस्से, वो शाम अब भी इस नजर में है,
ये दिल धड़का था जिस नजर से अपना, वो नज़र अब भी इस नजर में है,
तेरे हर एक नजराने मेरे दिल की नजर में है,
और नजर के पैमाने बहके ख्याली नजर में है,
तेरे हर एक कातिलाना नजर का हिसाब हमारी नजर में है,
ये खेल नजर का जाना, हमारी नजर से क्यों बेखबर किए हो,
नजर मिलाकर, नजर चुराया, नजर फरेबी क्यों ए नजर बने हो ? 


हजारों मसले नजर के है, नजर ही जरिया है राहतों का,
नजर पड़े गर खुदा की तो, रास्ते खुलते हैं चाहतों का,
नजर मिले गर तुझसे यारा , दुआ करता दिल फिर डूबने का,
ये नज़र के किस्से बड़े अजब है, नजर से घायल कितने नजर है,
तुम्हारी नज़र को पहचानते हैं हम, मसला नजर का जानते हैं हम,
शुक्रिया खुदा का कि नजर ये मिली, जीने की हमको नजर तो मिली,
अपने नजर को ना परेशान तू कर, खुलके  मुस्कुरा जरा नजर तो बदल,
मिलेगी नजर ये बेशक अगली दफा भी,
 मगर इस मुलाकात में वो जज्बात क्यों बेखबर किए हो,
नजर मिलाकर, नजर चुराया, नजर फरेबी क्यों ए नजर बने हो ?

©Yadon Ka Safar ( Kumari Samagi)
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