इक़ तुझे #सोचने के बाद ,, #सोचतीं हूं ,, कि क्या सोचू ,, इक़ तेरी #सोच के बाद
फ़िर सोचतीं हूं ,, कि तुझे सोचने के अलावा ,, और कोई सोच भी तों नहीं है मेरे पास
बस इसी सोच की #कश्मकश में ,, सोचतीं रह जाती हूँ
कि तेरी सोच के #अलावा ,, और कोई सोच #क्यूँ नहीं है मेरे पास
यें कैसा #असर हैं तेरा ,, जों दिलों - #दिमाक से जाता नहीं
और तुझे सोचने #अलावा ,, मुझे कुछ #भाता नहीं
......................................................................... 🥀 🥀 #Shayari