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अजब गजब है राम जी मेरे युग के राम जी मर्याद

अजब गजब है राम जी
मेरे   युग   के  राम  जी

मर्यादा   है   तार   तार
चीर  हरण  है  राम जी

स्वर्ण मृग के लालच में
सीता को भूले राम जी

नाव डूब रही केवट की
चुप  बैठे  हैं   राम   जी

बाट अहिल्या जोह रही
कब  आओगे  राम जी

©Rabindra Prasad Sinha
  #अनपढ़प्रेम