भोर हुई, नवकिरण नवसंचार लाई, अंकुरित किल्लियाँ सध गई, चिड़ियों की चहचहाहट गूंज गई प्रकृति पूरी लालिमा से भर गई। स्वर्ण लगा खेतों का चमकने लगा, भूमिपुत्र का चेहरा अब दमकने लगा, आकाश में सूर्य के साथ चिड़ियों का झुंड भी छाने लगा, जलधारा का संगमरमर भी कलकल करता आ लगा, कामधेनु के दुग्ध से श्वेत पूरा आंगन होने लगा। पूरा वातावरण अलौकिक हो गया, सम्राज्य शांति का सर्वत्र स्थापित हो गया, किलकारी मारती सृष्टि तब नववधू- सी सज गई, हरित भूमि- श्वेत क्षितिज पर भगवामयी आकाश तन गया, क्षणिक मात्र ही सही चक्षुओं को मां का दर्शन हो गया। भोर हुई... There's not a specific day/date for observing or feeling HER. Believe and SHE is everywhere... #भारत #भारतमाता #भोर #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #avr