अलविदा यूँ कहा लब हिले तक नहीं, जो जुदा ही न थे अब मिले तक नहीं। इक उमर कर गयी हीर-राँझा जिन्हें, दरमियाँ रह गए सिलसिले तक नहीं। और भूला मुझे ऐसे मेरा सनम, मोहब्बत तो छोड़ो गिले तक नहीं। थे राजा कभी, दूर तक राज था, आज पुश्तें नहीं और किले तक नहीं। उन गुलों का चढ़ावा बलि है भगत, जो बागों में रहकर खिले तक नहीं। राम नाम है सफ़र में हाफ़िज़ 'डिअर', के रगड़े बहुत पर छिले तक नहीं। #dearsdare #yqdidi #gazal #ghazal #yqgazal #love #life