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समाज बन तो गया मगर परस्पर प्रेम और सहृदयता का भा

समाज बन तो गया 
मगर परस्पर प्रेम और 
सहृदयता का भाव 
इस समाज में दिखा नहीं
अलग-अलग रस्मो रिवाजों के 
कारण एक दूसरे के हो न सके 
समाज जो कहे वही करना पड़ेगा 
चाहे क्यों ना घुट घुट कर मारना पड़े

©Prabhat Kumar
  #प्रभात