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Prabhat Kumar
अधूरी है उसकी ख़्वाहिश कह गई है पुनर्जन्म मैं लूँगी मिलन की प्यास बुझी नहीं है मेरी साथ तुम्हारा अभी छोड़ के जा रही हूँ प्रयत्न करूँगी लेकर पुनर्जन्म साथ तुम्हारे फिर रहूँगी मिथ्या नहीं है उसकी बात मिलन होगा फिर से हमारा उसके साथ ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
Night quotes न जाने किसकी आस में हर दिन निकलता है चाँद कट कट के हर दिन फिर उभरता है एक दिन चाँद चाँदनी सी रोशनी लेकर हर दिल को भाता है चाँद कभी बादलों की ओट में क्यों छुप जाता है चाँद कभी खुले आसमान में तारों और सितारों के संग चमकता रहता है चाँद ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
कुछ मुलाक़ात रह जाती है याद ख़्वाबों ख़्यालों में आती है वो यादें बार-बार थी उनसे मेरी वो पहली मुलाक़ात नज़रें उनसे मिली और दिल मेरा खो गया कहीं कुछ उनसे कहता वो ओझल हो गई थी नज़रों से कहीं फिर नज़रें मिली नहीं उनसे कभी दिल आज भी ढूँढता है उनको तस्वीर उनकी नज़रों में लिए हुए ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
समाज बन तो गया मगर परस्पर प्रेम और सहृदयता का भाव इस समाज में दिखा नहीं अलग-अलग रस्मो रिवाजों के कारण एक दूसरे के हो न सके समाज जो कहे वही करना पड़ेगा चाहे क्यों ना घुट घुट कर मारना पड़े ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
करके कुछ गलतियाँ अस्तित्वहीन हो गया नज़रों से कितनों के मैं उतर गया ख़ुद के अस्तित्व की लड़ाई अब लड़ रहा हूँ हर किसी के नज़रों में आने को तड़प रहा हूँ ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
मंज़िल को पाने की तड़प मुझको मेहनत करने को मजबूर किया हर मजबूरियों से संघर्ष करके आगे बढ़ता गया रास्तों में कांटे भरे थे पैरों में जो चुभ रहे थे फिर भी हिम्मत बढ़ता गया मंज़िल मेरे नज़दीक आता गया ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
बनाकर उस ख़ुदा ने भेजा था इंसान मगर बना रह न सका इंसान अपने मतलब के लिए भूल कर इंसान अपनी इंसानियत बन गया है हैवान ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
भारत भूमि की मिट्टी कितने बलिदानों को देखी है अपने गोद में उनके लहू को समेटी है आँसू बहाती कुछ ना कहती बस सब कुछ चुपचाप देखती रहती ये मिट्टी, भारत भूमि की मिट्टी कहीं है ये उपजाऊ मिट्टी कहीं बेजान पड़ी है मिट्टी लहलहाते हैं जिस पर फसलें उगते हैं जिस पर कितने विशाल पेड़ें ये मिट्टी, भारत भूमि की मिट्टी मिल जाना है एक दिन सबको इस मिट्टी ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
उम्र के इस पड़ाव पर कुछ भी अच्छा लगता नहीं ज़िन्दगी मोक्ष की अभिलाषा करने लगता हैं लोभ लालच करके मन जो अब भरने लगता हैं मोह माया छोड़ कर उस परमेश्वर की शरण में जाने का मन करने लगता है मोक्ष पाने का मन करने लगता है ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
जब साथ तुम्हारा है सफ़र हमारा सुहाना है प्यार भरी बातें होंगी समय का पता नहीं चलेगा मंज़िल तक पहुँच जाएँगे चेहरे हम दोनों के मुस्कुराएँगे तुम हो प्यार हमारे मुश्किल नहीं आएँगे पास हमारे ज़िन्दगी का सफ़र भी सुहाना है खुशियों का ज़िन्दगी में तराना है ©Prabhat Kumar #प्रभात