तुम खुद को कमज़ोर या बोझ ना समझना, समझी?
वरना औरत को कितने साजों श्रृंगार के सामानों की जरूरत होती है लेकिन बेटियां अपनी इच्छाएं मारती है कम करती है ताकि पिता की जेब और कंधों का भार उसके त्याग से कुछ कम हो जाएं,
लेकिन आप उसे ही कमज़ोर कम अक्ल, दुनियादारी की समझ नही है बताते हों,
ये बेटियों की कुर्बानी नहीं कुल्हाड़ी है समाज,हर परिवार हर पिता की कमाई और बुध्दि पर।
Dear parents. बेटियो को अक्षर ज्ञान ही ज़रूरी है तो आपको हमसे ज्यादा ज्ञान है आप ही क्यों नही ज्यादा कमा लेते ताकि हमारे सर से ये कमाने का भूत तो उतर जाए।
हमें भी अपना नाम बनाना है। हमे प्यार में ही नही पड़ना, सजना ही नही है,घर के कामों में मारे ही नही जाना है। साथ दे दो हमारा भी भाई पिता।😡 #Motivational#घरेलूहिंसा#MissionMaanyMaang