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Manya Parmar
युवा अपनी बुद्धि लगाकर बताएं क्या आदमी को सम्मान समानता स्वतंत्रता नहीं चाहिए? यहीं बात नारी कहती है तो तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आता? औरत को आपकी बेटियों को आदमी नही बनना है,केवल इंसान बनना है, ये इतनी सी बात आज के मॉडर्न युवा को भी समझ नही आती तो लानत हैं तुम्हारी अक्ल पर। अपने ही घर की नारी को आदमी ने हक अधिकार सम्मान,खुलकर जीना, जागरूक होना सब से वंचित रखा, औरत को उतने ही हक उतना ही सम्मान चाहिए,आराम चाहिए जितना एक आम इंसान को। जिस तरह तोड़ती है दुनियां समाज एक इंसान को हम भी तैयार है द
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औरत को कितने साजों श्रृंगार के सामानों की जरूरत होती है लेकिन वे अपनी इच्छाएं मारती है कम करती है ताकि आपकी जेब और कंधों का भार उसके त्याग से कुछ कम हो जाएं, लेकिन तुम उसे ही कमज़ोर कम अक्ल, दुनियादारी की समझ नही है बताते हों औरत के कई तरह के त्याग की वजह से तुम अपनी कमाई पर घमंड कर पाते हों अपने ही घर की नारी को आदमी ने हक अधिकार सम्मान,खुलकर जीना, जागरूक होना सब से वंचित रखा, औरत को उतने ही हक उतना ही सम्मान चाहिए,आराम चाहिए जितना एक आम इंसान को। जिस तरह तोड़ती है दुनियां समाज एक इंसान को ह
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पिता तो जानते है दुनियादारी, सबसे ज्यादा समझ होती है उनमें, अगर वाकई होता पितृ सत्तात्मक समाज तो हर बेटी कामयाब काबिल, शोषण ना सहने वाली, बेखौफ, आत्मनिर्भर आत्मविश्वासी होती। बचपन से जवानी, जीवन के हर पग पर नारी को कम आंका कम बताया,खुद पर भरोसा न करना सिखाया, चुप रहना, बुराई सहना सिखाया, घर के काम इसकी राजनीति में उलझाया, बेटियों का आत्मविश्वास आत्मसम्मान छोटी छोटी बातो से तोड़ा, कभी उनका साथ न दिया, केवल अक्षर ज्ञान दिया वो भी न जाने किस तरह, समाज रीति रिवाज परंपरा संस्कार मर्यादा से जकड़ा इन्
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ज्यादा आविष्कार आदमी ने किए। औरतें अगर रोटी सब्जी साफ सफाई कपड़े धोने बच्चे संभालने हमारी जी हजूरी में समय ना गवाती तो हम आज ये कह नहीं पाते, उनका शुक्र गुजार होना है हमे कि तुम ना होती तो हमारा सारा समय अविष्कार करने में नही घर के कामों में खराब हो जाता जैसा तुम्हारा हुआ लेकिन हम उन्हें नीचा दिखाते है कमजोर मानते है कितने मतलबी हैं हम आदमी।😞 अपने ही घर की नारी को आदमी ने हक अधिकार सम्मान,खुलकर जीना, जागरूक होना सब से वंचित रखा, औरत को उतने ही हक उतना ही सम्मान चाहिए,आराम चाहिए जितना एक आम इं
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बाबा साहब जैसे कई महान आत्माओं ने अपना जीवन केवल तुम आदमी को सम्मान समानता हक अधिकार दिलाने के लिए नियम कानून नही बनाएं,वे नियम कानून औरतों के भी समान है, अफ़सोस केवल खुद का शोषण देखने का ही दिमाग चलता है तुम्हारा, आज का ये युवा जो खुद को मॉडर्न जमाने का कहता है और अपनी बहन बेटी पर हुक्म चलता है खुद को महान मानता है😡 शर्म आती है तुम्हें मॉडर्न जमाने का युवा/भाई/पिता/पति कहते हुए हमे।🤮 अपने ही घर की बहन बेटी मां पत्नी का मानसिक शारीरिक भावनात्मक आर्थिक किसी तरह से विकास नहीं होने दिया, नारी में
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आज जमाना चांद मंगल पर पहुंच गया, Ai technology Robots का जमाना आ गया लेकिन औरतें अपने ही घर के आदमी से कमजोर है बुद्धि में आत्मविश्वास में आत्मनिर्भर होने में, हां त्याग करने में शोषण सहन ने हमने उनको ज़रूर PhD कराई है, नारी में कोई हिम्मत हौसला नहीं भरते बल्कि उन्हें और दबाकर रखते है हमारी एक आवाज एक इशारे पर उठे,बैठे उतना ही बोले,इस तरह के परिवेश में हम रखते है। बहुत ही शर्मनाक हरकत है ये हमारे आधुनिक जमाने हमारी शिक्षा और हमारे धर्म,संस्कृति के लिए।🤦 आज जो बेटियां कमाने से या अपनी बुद्धि से
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तुम खुद को कमज़ोर या बोझ ना समझना, समझी? वरना औरत को कितने साजों श्रृंगार के सामानों की जरूरत होती है लेकिन बेटियां अपनी इच्छाएं मारती है कम करती है ताकि पिता की जेब और कंधों का भार उसके त्याग से कुछ कम हो जाएं, लेकिन आप उसे ही कमज़ोर कम अक्ल, दुनियादारी की समझ नही है बताते हों, ये बेटियों की कुर्बानी नहीं कुल्हाड़ी है समाज,हर परिवार हर पिता की कमाई और बुध्दि पर। Dear parents. बेटियो को अक्षर ज्ञान ही ज़रूरी है तो आपको हमसे ज्यादा ज्ञान है आप ही क्यों नही ज्यादा कमा लेते ताकि हमारे सर से ये कम
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आज का समय नहीं है बुराई सहने का,बुराई को जवाब देने की हिम्मत हर माता पिता हर बच्चे हर इंसान पैदा करें।🔥 अपने ही घर की नारी को आदमी ने हक अधिकार सम्मान,खुलकर जीना, जागरूक होना सब से वंचित रखा, औरत को उतने ही हक उतना ही सम्मान चाहिए,आराम चाहिए जितना एक आम इंसान को। औरत को आपकी बेटियों को आदमी नही बनना है,केवल इंसान बनना है, ये इतनी सी बात आज के मॉडर्न युवा को भी समझ नही आती तो लानत हैं तुम्हारी अक्ल और मॉडर्न होने पे।🗿😡 स्वाभिमानी महत्वकांक्षी होना नारी का नहीं इंसानी गुण है। वो सब करों और पाओ
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घर की राजनीती, एक दुसरे को नीचा दिखाने, खुद को महान साबित करने से फुर्सत मिले तो बच्चो को जीवन की कुछ नेक सीख दे पाओगे ना। बड़ो में समझदारी होती है,तो समझदारी का प्रदर्शन कब करेगें घर खाली होने के बाद?🙄😒 अगर जमाना बदला है तो हमें अपने घरों के वातावरण में भी बदलाव लाना होगा, हमारे अपने हमसे अपने मन की बात कह सके हम खुद उनसे कह सके फिर क्यों कोई तनाव में रहेगा, क्यों किसी को रिश्ते में घुटन होगी, जब हमें घर में कोई सुनने समझने वाला नही मिलता तो कोई गैर हमसे दो मीठी बातें बोल लेता है तो हम उसके झा
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हर बहन का सपना होता है उनके भाई उनसे भी ज्यादा पढ़े अफसर बनें, बड़े अधिकारी, जानी मानी हस्ती बनें, उसके लिए हर बहन अपनी इच्छा सपने कम करती है, अपना जीवन भाइयों को न्योछावर रहता है उनका, क्या भाइयों का सपना रहा उनकी बहनें किसी पर निर्भर नहीं रहे? क्या आप ने बहनों को कहा कि अपने भविष्य के लिए काम कर ये घर के काम तो होते रहेंगे? जा तू पढ़ या आराम कर या खेल,कभी कहा आप ने?नएं जमाने के युवा बनते हो😡 बहनें पढ़े अफसर बनने के लिए लेकिन उनसे व्यवहार काम हम नौकरों जैसे ही चाहते है, जब तक युवा अपनी मां बहन
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