जीवन की किश्ती हमेशा तटो पर ही परवरिश पाती रही मे सागर की गहराई वो इसिलए कभी देख पाई नही इस जगत को उजालो के लिये जरूरत. हैँ एक चाँद एक सूरज की लेकिन मेरे बदनसीब ब्रह्माण्ड. पर सूरज चाँद कभी दिखे नही आकाश के तारे गवाह हैँ चाँद आया था मेरेघर की छत पर बादलो ने भी बता दिया सच कि उनकी चाँद से कभी कोई दुश्मनी रही नही जंगल की उदंड हवाओं नेअच्छे मौसम का समा बांध दिया था किंतु प्यार का कोई भी पंछी अपने घोसले से बाहर आया ही नही ©Parasram Arora जीवन की किश्ती