जी करता है तुझसे, अब ख़तों के जरिये ही हों बातें। चल फ़ासलों को ज़रा छेड़ते हैं, एहसासों को लिख के कह लेंगे, साथ तो हमने तूफ़ाँ भी हैं गुज़ारे, सब्र रख ये दूरियाँ भी सह लेंगे, बड़ी कच्ची उमर थी उन बातों की, वो जो सामने मिलके होती थीं, अब जो लिख के होंगी, वो वक्त से परे होंगी, पक्की मुलाक़ातें। जी करता है तुझसे, अब ख़तों के जरिये ही हों बातें। जब ख़त भेजना, उसमें क़ैद अपनी ख़ुशबू तुम यार रखना, मिलो ना मिलो, इस तरह तुम मिलने की तलब बरक़रार रखना, तेरी लिखाई को दिन में पढ़के, तेरे चेहरे के नूर से होंगे वाबस्ता, और तकिये तले रखके, ख़्वाबिदा पलकों में तुझे तकेंगी रातें। जी करता है तुझसे, अब ख़तों के जरिये ही हों बातें। किसी एक दफ़ा, ख़त दिल के उन छुपे हुए ख़्यालों से भी भरना, जो सामने ना कह सके कभी, उसमें तुम, वो लिखने की कोशिश करना, होगा और क़रीबी दिलों का रिश्ता ये, इस नज़दीकियों के खेल में, कामयाब होंगी दूरियाँ, तब जाके मिलेंगी इश्क़ को नयी सौगातें। जी करता है तुझसे, अब ख़तों के जरिये ही हों बातें। जी करता है तुझसे, अब ख़तों के जरिये ही हों बातें। #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi #yqlove #yqshayari #yqpoetry