हे प्रभू मेरी खता को अब और ना निहारिए, मैं ख़तावार नहीं मुझे नज़र से ना उतारिए, मेरी बिगड़ी बनाकर मेरी जिन्दगी को सँवारिए, मैं चरण रज हूँ प्रभू मुझे ठोकर ना मारिए, हे जगत के पालनहार मुझे अब तो उबारिए, नज़रों से दूर सही पर हृदय से ना बिसारिए। "हृदय से ना बिसारिए, रखिये सदा यह आस, दरस मिले अखियन को, मिटेगी इनकी प्यास।" 👉आओ अब कुछ लिख जायें।। कोलाब कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :- #हृदयसेनाबिसारिए #collabwithकाव्यपथिक