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तू आइना है जिसमें देखती हूँ अक्स अपना... कुछ इसी

तू आइना है जिसमें देखती हूँ अक्स अपना... 
कुछ इसी तरह गुजर गया है वक़्त अपना... 
एक हाथ बढ़ा दे तो पकड़ ले दामन... 
तू तो हर रोज देखता है मेरा तड़पना... 

एक चाह है तू भी बोले कभी, 
दिल का राज़ खोले कभी, 
अक्स के बोलने का लिये हुए सपना,
बड़ी उम्मीद पर देखती हूँ आइना....

©Rakhi Anamika
  # आइना
rakhisinha1608

Rakhi Anamika

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# आइना #शायरी

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