हटा दो पर्दा, चेहरे से होने दो दीदार तुम्हरा। हम भी उतरे है मैदान आश्कि का रुतबा सारा। हँसी ये चेहरे की, रूबरू तो होने दो। आशिको की खड़ी टोलिया उनको घुट घुट के तो रोने दो। ombir phogat #poem 5