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तेरे भीतर ही तो धड़क रही थी माँ, धड़कन मेरी, तेरी

तेरे भीतर ही तो धड़क रही थी माँ, धड़कन मेरी,
तेरी सांँसों के साथ ही तो चल रही थी सांँसे मेरी।

सहम गई थी मांँ, देख कर वो तेज धार हथियार,
नज़दीक आ रहा था जब वो, करने मुझ पर वार।

अकेली थी, पुकार रही थी माँ, तुझको बार-बार,
अगले ही पल मुझे काटकर, कर दिया तार-तार।

नन्ही मैं परी तेरी, लहुलुहान तेरे भीतर तड़पकर,
मूंद ली आँखें थक गई थी माँ ज़िंदगी से लड़कर।

तू तो बड़ी ही बेसब्री से कर रही थी इंतजार मेरा,
फिर क्यों जालिमों के हाथ कत्ल होने दिया मेरा।

क्यों तूने खुद से अलग कर दिया अपना ही अंश,
मैं भी तो जीना चाहती थी मांँ, बन कर तेरा वंश।

तेरी ही परछाई थी मांँ मैं तुझ में ही पल रही थी,
तेरी गोद भी नसीब न हुई क्या मैं इतनी बुरी थी।

दादा दादी मम्मी पापा भईया रिश्ते कितने प्यारे,
इन सबका दुलार पाना था माँ आना था तेरे द्वारे।

चलना चाहती थी हर कदम तेरी उंगली थामकर,
सोना चाहती थी तेरी गोद में मीठी लोरी सुनकर।

क्यों मुझसे छीन लिया गया आख़िर ये हक मेरा,
जग में आने से पहले ही, क्यों छीन लिया सवेरा।

जानती हूंँ माँ कि तुझको किया गया था मजबूर,
बेटी थी मैं बेटा नहीं क्या यही था माँ मेरा कसूर।

थोड़ी हिम्मत और कर, जो लड़ जाती संसार से,
तो आज मेरी हत्या न होती, तेजधार हथियार से।

©Mili Saha
  कन्या भ्रूण हत्या
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