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कभी बुने मेने मिलके, तो कभी कही से बटोर लाये कभी

कभी बुने मेने मिलके,
तो कभी कही से बटोर लाये 
कभी टूटे जो ख्वाब  तो फिर बैठ खुद को समझआये 
हाय रे मन हाय रे मन
कभी यादों की बस्ती में
कभी हाथ पकड़ बुरे लम्हो का
आंखों पर लगाये मेरे आँसुओ को पुकार आये
हार सा नन्हा मन 
धड़कनों को तेज दौड़ना सिखा मेरा मन
पर नकामियाबी कि सियाहि लगे बीते लम्हो पे
 रूहानित का जतन करे मेरे मन।

ज़िम्मेदारियों और ज़िंदगानी के कशमकश में,
अंदर से मैं था हार गया।
न चाहते हुए भी मैं नजाने
कितने दफा मन को अपने मार गया।
बचपन की यादो के उस सरोवर में
आज डूब रहा है मेरा मन,
उन्न पुराने ख्वाबों के खिलौने सा
आज टूट रहा है मेरा मन।

©SANAM.Raj
  #hay mera man hay re bachpan
rajteredilk8786

SANAM.Raj

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#Hay mera man hay re bachpan #शायरी

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