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बिक रहे है खूब ये जो बिकने वाले, ये कांच

बिक   रहे  है  खूब  ये  जो  बिकने वाले,
ये   कांच   के  टुकड़े   है   चमकने  वाले।।

जिनकी   होती   है   मंजिल   पे    नज़र,
वो   लोग   नहीं   रास्ता   भटकने  वाले।।

मौजूद    है   अब   यहां   जो   सीनो  में,
वो   दिल   नहीं  पत्थर  है धड़कने वाले।।

आ   गया   वहां   से लतीफे  सुना  के मै,
थे  नहीं  लोग   जहां  शेर  समझने वाले।।

पिघल जाता  था देखकर  तेरे आंसू मगर,
ये खोटे सिक्के यहां अब नहीं चलने वाले।।

आइना  अगर  सच   कह   दे  जो  *हरेन* 
मुमकिन  है  रूठ   जाएं    संवरने    वाले।। #बिक  #रहे  #है  #खूब  #ये  #जो  #बिकने #वाले,
#ये   #कांच   #के  #टुकड़े   #है   #चमकने  #वाले
बिक   रहे  है  खूब  ये  जो  बिकने वाले,
ये   कांच   के  टुकड़े   है   चमकने  वाले।।

जिनकी   होती   है   मंजिल   पे    नज़र,
वो   लोग   नहीं   रास्ता   भटकने  वाले।।

मौजूद    है   अब   यहां   जो   सीनो  में,
वो   दिल   नहीं  पत्थर  है धड़कने वाले।।

आ   गया   वहां   से लतीफे  सुना  के मै,
थे  नहीं  लोग   जहां  शेर  समझने वाले।।

पिघल जाता  था देखकर  तेरे आंसू मगर,
ये खोटे सिक्के यहां अब नहीं चलने वाले।।

आइना  अगर  सच   कह   दे  जो  *हरेन* 
मुमकिन  है  रूठ   जाएं    संवरने    वाले।। #बिक  #रहे  #है  #खूब  #ये  #जो  #बिकने #वाले,
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