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तेरी उल्फत का पहरा लगा है सनम, और भला कौन आएगा मेर

तेरी उल्फत का पहरा लगा है सनम,
और भला कौन आएगा मेरे खयालात में,
मेरी वो बात पूरी हो ही नही सकती,
तेरा जिक्र न आए मेरी जिस बात में,
हम मोहब्बत है तुमसे ये हम चीख चीख कर कहते है,
तेरी याद तो आती है मगर नींद नहीं आती रात में,
इन यादों के परिंदो से कह दो वक्त- बेवक्त यूं मंडराया ना करे,
चुपचाप बैठ जाए अब मेरे ज़ेहन-ए-बाग मे,
मैं किश्ती लेके चला हूं भरके मोहब्बत को तेरी,
हमसफर बनकर चलो! चलो मेरे साथ में,
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत और कितना पुकारे हम,
पागल हुए जा रहे है पागल दिल के इस जज्बात में,
तेरी उल्फत का पहरा लगा है सनम,
और भला कौन आएगा मेरे खयालात में।२।

©Vinay Rajput
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