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हिलाल-अहमर या सुर्खी माइल वक्त-ए-अजल तक नज़र ना ज

हिलाल-अहमर या  सुर्खी माइल
वक्त-ए-अजल तक नज़र ना जाए
नज़र-ए-सानी की है ख्याली 
काज़ा-ए-उल्फत कहां छुपाए
बेखौफ सी फैली ये जो खुश्बू
जमीं को शबनम भर ये जगाए
अभी गिरी ये शाखों से शबनम
के जैसे आंसू नज़र में आए
अस्ल-ए-फसाना हवा है कहती
आब-ए-तल्ख हो के गुनगुनाए
हिलाल-अहमर या  सुर्खी माइल
वक्त-ए-अजल तक नज़र ना जाए
राजीव

©samandar Speaks #seashore  Mukesh Poonia Radhey Ray Khushi Tiwari Samima Khatun मनीष शर्मा

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