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जिगर का टुकड़ा बनाती अपने हाथ से चपाती थी, खिलाती थ

जिगर का टुकड़ा बनाती अपने हाथ से चपाती थी,
खिलाती थी मुझे बड़े प्यार से।
बेदर्दी दुनिया से मुझे बचाती थी,
छुपाती थी मुझे अपने आंचल में।
कहानी सुनाती, लाड लड़ाती,
मेरे बालों में अपना हाथ फेहराती।
दिल और जान से मुझे चाहती,
जिगर का टुकड़ा कह कर बुलाती। जिगर का टुकड़ा #Relationships
जिगर का टुकड़ा बनाती अपने हाथ से चपाती थी,
खिलाती थी मुझे बड़े प्यार से।
बेदर्दी दुनिया से मुझे बचाती थी,
छुपाती थी मुझे अपने आंचल में।
कहानी सुनाती, लाड लड़ाती,
मेरे बालों में अपना हाथ फेहराती।
दिल और जान से मुझे चाहती,
जिगर का टुकड़ा कह कर बुलाती। जिगर का टुकड़ा #Relationships
divyaaarts9098

Unsaid_lafz

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जिगर का टुकड़ा #Relationships #poem