जिगर का टुकड़ा बनाती अपने हाथ से चपाती थी, खिलाती थी मुझे बड़े प्यार से। बेदर्दी दुनिया से मुझे बचाती थी, छुपाती थी मुझे अपने आंचल में। कहानी सुनाती, लाड लड़ाती, मेरे बालों में अपना हाथ फेहराती। दिल और जान से मुझे चाहती, जिगर का टुकड़ा कह कर बुलाती। जिगर का टुकड़ा #Relationships