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कब तलक ये जिंदगी बेजार होगी। सोच लेते इश्क में बेक

कब तलक ये जिंदगी बेजार होगी।
सोच लेते इश्क में बेकार होगी।
याद भी करते नहीं बेटे विदेशी,
ये कि उनकी मां कहीं बीमार होगी।
इक घुटन से रिश्ते को वो ढो रही है,
बाप की बेटी बहुत लाचार होगी।
हिंदू-मुस्लिम में अजब ये जंग कैसी,
क्या ध-रम के नाम पर दीवार होगी।
वो नहीं आई बुलाने पर मेरे तो,
अब भला इस बात पर तकरार होगी।
दर्द निकले तो दिलों को छू के गुजरे,
तब ग़ज़ल सरिता की यूं तैयार होगी।

©saritaom ग़ज़ल
#Nojoto #Shayar #Shayari #gazal #sarita#trending

#NationalSimplicityDay
कब तलक ये जिंदगी बेजार होगी।
सोच लेते इश्क में बेकार होगी।
याद भी करते नहीं बेटे विदेशी,
ये कि उनकी मां कहीं बीमार होगी।
इक घुटन से रिश्ते को वो ढो रही है,
बाप की बेटी बहुत लाचार होगी।
हिंदू-मुस्लिम में अजब ये जंग कैसी,
क्या ध-रम के नाम पर दीवार होगी।
वो नहीं आई बुलाने पर मेरे तो,
अब भला इस बात पर तकरार होगी।
दर्द निकले तो दिलों को छू के गुजरे,
तब ग़ज़ल सरिता की यूं तैयार होगी।

©saritaom ग़ज़ल
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