ये मौसम हसीन ----ये खूबसूरत नजारे आ गये फिर से हम उस नदी के किनारे आसमां और जमीं मिल रहे थे जहां पर जिस जगह धुंध मे हमने कश्ती उतारे चलते चलते न जाने कब शाम हो गयी हल्की बारिश की पड़ने लगी थी फुहारें कुछ कहा भी नहीं --कुछ सुना भी नहीं आंखों आंखों मे ही बस हुये कुछ इशारे कभी फुर्सत मिले तो आओगे क्या तुम संजय जीते हैं हम --तेरी यादों के सहारे ©संजय श्रीवास्तव #coldwinter