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चाहता  हूं  जिंदगी  में  मौन  का  विस्तार  हो। भाव

चाहता  हूं  जिंदगी  में  मौन  का  विस्तार  हो।
भाव की अभिव्यक्तियों में साधना का सार हो।
पंथ की प्रतिकूलता  में हों सुखद  अनुभूतियां।
कामनाओं  के  शिखर  पर प्रेम  का उद्गार हो॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
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