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रही कोई कमी होगी हमारी ही वफ़ाओं में हमें तन्हा यू

रही कोई कमी होगी हमारी ही वफ़ाओं में
हमें तन्हा यूँ कर रहते वो खुश है फिज़ाओं में 

रहें बेख़बर हमसे चाहे जितना दूर भी हो कर
न जाने क्यों हमें नज़दीक लगते अब वो ख़्वाबों में।

ये बिन मौसम जो बरसी आँखें बादल सी
यूँ ही उनका चलें आना दबे पाँवों‌ से ख़्यालों में।

नहीं कोई हमारे दरमि्यां अब जो रहा रब्ता
ख़ुदा से माँगे तब भी हर दफ़ा उसको दुआओं में। 

बता दें प्रीत को कोई‌ ख़ता मेरी थी ही क्या 
मुसाफ़िर छोड़ कर हमको गये है ऐसे राहों में।

हरप्रीत कौर

©हरप्रीत कौर की ज़ुबानी कविता किस्से कहानी
  #Jack&Rose #वफ़ाओं में कमी