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लोग जगत मे मिलते हैं, संख्या क्या बतलाऊँ। मन मिले

लोग जगत मे मिलते हैं, 
संख्या क्या बतलाऊँ।
मन मिले दर्पण बने, 
वो ही मित्र बनाऊँ।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #मित्र  #Friend 
लोग जगत मे मिलते हैं, संख्या क्या बतलाऊँ।
मन मिले दर्पण बने, वो ही मित्र बनाऊँ।
#poetshailendra  #hindisahityasagar

#मित्र #Friend लोग जगत मे मिलते हैं, संख्या क्या बतलाऊँ। मन मिले दर्पण बने, वो ही मित्र बनाऊँ। #poetshailendra #hindisahityasagar #कविता

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