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हम जिम्मेदारियां को मय्यसर भी ना हुए, हम जिम्मेदार

हम जिम्मेदारियां को मय्यसर भी ना हुए,
हम जिम्मेदारियां के पर्दे तले इस तरह से छुपे हुए थे, 
जमाना भला कैसे अंदाजा लगाता हमारी हालत का,
हम कांटों की तरह सूखे हुए थे,
हमारे हाथों से भला किसको सहारा मिलता, 
हमारे हौसलों के कंधे झुके हुए थे।

©Innocent
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