मैं तुझसे जुदा हो गया मेरी ज़िन्दगी में इक ऐसा मकाम आया जहां के दिलजलों की महफिल है महफिल मेरा भी नाम आया दौलतवाला तमाम उम्र भटकता रहा जर की पीछे कुछ इस कदर आखिर में हाथ खाली था उसका पैसा भी ना किसी काम आया सारी उम्र उसने जिस फकीर से ग़ुफ्तगू तक नहीं की थी कभी उसी जहालत वाले की बगल में उसकी कब्र का मकाम आया ये कौन था जिसने मेरी वीरान दुनिया में शोर को बुला लिया भूल गया था जिसको अरे वही जो इस गली में कल शाम आया हया अब लिबास में रहने को इनकार करने लगी है ऐसे मेरे दुश्मन का फैका हुआ जाल आज उसके काम आया दुश्मन का जाल