खोकर होश दिल, शुरू-शुरू में करता है इश्क़ की ख़्वाहिश, बातों-मुलाक़ातों में होने लगती है, फिर इश्क़ की सिफ़ारिश। इंतज़ार की घड़ियाँ बुनने लगती हैं, रोज़ नये-नये ख़्वाब भी, वादों-इरादों में बढ़ने लगती है यूँ ही फिर इश्क़ की फ़र्माइश। ग़लतफ़हमियों का दौर दिखाता, असली दुनिया का आईना, हदों-हिसाबों में करने लगती फ़ुर्सत फिर इश्क़ की साज़िश। 🎀 Challenge-351 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।