जब साथ थे, महोब्बत की कितनी बातें किया करते थे,!! महोब्बत तो शायद हमें थी,!! वो तो मैहज़ बातें किया करते थे,!! उसे भी तो अब क्या इल्जाम दें, हम भी तो जैसे वो चाहते थे, बस वैसे किया करते थे,!! उनकी बेरूख़ी की हदें भी, हमने इस हद तक बरदास्त की वो सामने आकर भी हमें पैहचान ना सके, हम हैं की उन्हे फोन पर आवाज़ से पैहचान लिया करते थे,!! बेवफाई भी तो उसने की है, जिस से हम कभी वफाओं की कोचिंग लिया करते थे,!! ©RK writter my poetry #Shayar #zalimshayar #my__saayari #WallPot