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करीब से देख मुझे मैं गहरा बहुत हुँ ! किनारों को

करीब से देख मुझे
मैं  गहरा  बहुत  हुँ !
किनारों को मत ढूंढ
थमी लहरों को देख
तूफानों को अक्सर
मैं  सहता  बहुत  हुँ !
गीली मिट्टी है मगर
खुशबु  नहीं..शायद
उदास से मौसम मे
मैं बरसता  बहुत  हुँ !
कुछ अपनों की नसीहत
कुछ  मेरी  फितरत..
पर सपनों  के सफर पे
मैं  डरता  बहुत  हुँ !

©Chinu Mahej
  Benaam Shayer ✍️
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chinumahej1644

Sachin

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Benaam Shayer ✍️ #chinumahej #shayeri #poem #alone Poetry #कविता

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