Nojoto: Largest Storytelling Platform

दिल पर एक बोझ उठाया है एक राज़ मैंने सबस

दिल   पर   एक   बोझ  उठाया  है
एक  राज़  मैंने  सबसे  छुपाया  है

आओ    कभी    तुम्हें    ले    चलूँ
मैंने  एक अलग  शहर  बसाया  है

चाहकर  भी  मुझे  गिरा  न  पाया
ज़ोर  ज़माने   ने  पूरा  लगाया  है

सूखे पत्तों  ने  एक  सवाल  किया
हमें  शज़र से  किसने  गिराया  है

खोलते पानी  में  बर्फ  न  पिघली
आशिक को कौन  समझ पाया है

'गुरविंदर' बैठ  कभी  अपने पास
खुद  को  तूने  कितना भुलाया है

©Gurvinder Matharu
  Dry Leaves
#DesiPoet
gurvindermatharu5678

Honey Honey

New Creator

Dry Leaves #desipoet #शायरी

67 Views