कहां तक तुम डुबाओगे, सहारा मिल ही जायेगा समन्दर से जो लड़ बैठा, किनारा मिल ही जायेगा किसी की याद में आँसू, बहाकर कुछ नहीं मिलता पुकारो दिल से तुम उसको, दुबारा मिल ही जायेगा जो कल तक खेलता था, चांदनी में शान से घर की थका टूटा डरा सहमा, वो तारा मिल ही जायेगा सम्भलकर बात कहता हूँ, बहुत मोहताज़ लफ़्ज़ों का मगर् फ़िर भी तुम्हें इनका, इशारा मिल ही जायेगा यहाँ तुम ही नहीं तन्हा, जिन्हें अपनों ने लूटा है यहाँ हर एक नुक्कड़ पे, बेसहारा मिल ही जायेगा सुनो "मुन्तज़िर" को भी है, ज़रूरत एक ज़िगरी की चलो ढूंढे कोई क़िस्मत् का मारा मिल ही जायेगा... °°°@nitin arya "muntzir"°°° ®nitin muntzir ki dayri. 🖊🖊 muntzir shayris