मनके की एक माला जैसे है ये रिश्ते , प्यार ,प्रेम व स्नेह के मोती है इसमे बसते, विश्वास की पावन डोर से ये हैं बांधे जाते, इस आँगन में खेलना सीखा,सीखा जीने का सरीखा, पकड़ उंगली हर सदस्य का मैने चलना सीखा, परिवार का आपसी प्रेम मैंने यहाँ देखा, खुशी की किलकारियों की गूंज को हँसते देखा, परन्तु दुर्भाग्यपूर्ण बीच मे आ गई अर्थ और दर्प की रेखा, ज्यादा पाने की होड़ में भूल गया सदस्य आपसी प्यार, देखते-देखते,धीरे-धीरे प्यार के रिश्तों में आ गई दरार, चूर -चूर हुआ विश्वास , रिश्तों मे अब आ गई दीवार, कमजोर विश्वास का धागा टूटा,प्रेम के मोती एसे बिखरे, रिश्ते सारे टूट गए, कि अब न वो कभी निखरे।।।।। 🎀 Challenge-208 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।