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किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा

किवाड़ों से झाँकती रौशनी

एक जगह थी जो सुनसान,
दिखा वहीं पर घर अनजान।
घर के आगे खुला इलाका,
दिखता था पूरा शमशान।

यहाँ सन्नाटा सब ओर था,
घर पर नहीं कोई और था।
किवाड़ों से झाँकती रौशनी,
जिसका नहीं कोई छोर था।

धूल - मिट्टी से भरा हुआ था,
जालों का भण्डार लगा था।
टूटते से किवाड़ थे उसके,
कबूतरों का वो घर बना था।

फर फर कर उसमें मंडराते,
वो गुटर गूँ से शोर मचाते।
खाने को नहीं मिले वहाँ कुछ,
भोजन लाने को उड़ जाते।

कर जतन भोजन को लाते,
बड़े मगन से फिर वो खाते।
हो जाता जब घर में अँधेरा,
बेखौफ हो कर वो सो जाते।

क्या आगे मैं हाल बताऊँ,
वीराने का दृश्य दिखाऊँ।
जाता नहीं कोई वहाँ पर,
यही तुमको मैं समझाऊँ।
.............................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
  #किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry 

किवाड़ों से झाँकती रौशनी

एक जगह थी जो सुनसान,
दिखा वहीं पर घर अनजान।
घर के आगे खुला इलाका,
दिखता था पूरा शमशान।

यहाँ सन्नाटा सब ओर था,
घर पर नहीं कोई और था।
किवाड़ों से झाँकती रौशनी,
जिसका नहीं कोई छोर था।

धूल - मिट्टी से भरा हुआ था,
जालों का भण्डार लगा था।
टूटते से किवाड़ थे उसके,
कबूतरों का वो घर बना था।

फर फर कर उसमें मंडराते,
वो गुटर गूँ से शोर मचाते।
खाने को नहीं मिले वहाँ कुछ,
भोजन लाने को उड़ जाते।

कर जतन भोजन को लाते,
बड़े मगन से फिर वो खाते।
हो जाता जब घर में अँधेरा,
बेखौफ हो कर वो सो जाते।

क्या आगे मैं हाल बताऊँ,
वीराने का दृश्य दिखाऊँ।
जाता नहीं कोई वहाँ पर,
यही तुमको मैं समझाऊँ।
.............................................
देवेश दीक्षित

#sandiprohila  Bhardwaj Only Budana Praveen Storyteller शिवम् सिंह भूमि Praveen mishra Sherni  Nîkîtã Guptā Kumar Shaurya Nandani patel VIMALESHYADAV @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator
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#किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खुला इलाका, दिखता था पूरा शमशान। यहाँ सन्नाटा सब ओर था, घर पर नहीं कोई और था। किवाड़ों से झाँकती रौशनी, जिसका नहीं कोई छोर था। धूल - मिट्टी से भरा हुआ था, जालों का भण्डार लगा था। टूटते से किवाड़ थे उसके, कबूतरों का वो घर बना था। फर फर कर उसमें मंडराते, वो गुटर गूँ से शोर मचाते। खाने को नहीं मिले वहाँ कुछ, भोजन लाने को उड़ जाते। कर जतन भोजन को लाते, बड़े मगन से फिर वो खाते। हो जाता जब घर में अँधेरा, बेखौफ हो कर वो सो जाते। क्या आगे मैं हाल बताऊँ, वीराने का दृश्य दिखाऊँ। जाता नहीं कोई वहाँ पर, यही तुमको मैं समझाऊँ। ............................................. देवेश दीक्षित #sandiprohila @Bhardwaj Only Budana Praveen Storyteller @शिवम् सिंह भूमि @Praveen mishra @Sherni @Nîkîtã Guptā @Kumar Shaurya @Nandani patel @VIMALESHYADAV @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09 #Poetry

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