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पूरब का दरवाज़ा - बच्चों की बाल कविता पूरब का दरव

पूरब का दरवाज़ा - बच्चों की बाल कविता

पूरब का दरवाज़ा खोल धीरे-धीरे सूरज गोल लाल रंग बिखरता है ऐसे सूरज आता है गाती हैं चिड़ियाँ सारी खिलती हैं कलियाँ प्यारी दिन सीढ़ी पर चढ़ता है ऐसे सूरज बढ़ता है ऐसे तेज चमकता है गरमी कम हो जाती है धूप थकी सी * आती है सूरज आगे चलता ● है ऐसे सूरज ढलता है

©Roshan__mehar
  बचो की कहानी

बचो की कहानी #कामुकता

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